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शुक्रवार, जनवरी 27

मेरा भारत मेरा गौरव एक नजर .........

मेरे बदलते हिंदुस्तान की एक झलक मुझे गर्व है मैं हिंदुस्तानी हूँ  ?

my proud
26 republic day 
हम लड़ते है  झगड़ा करत है पर हमे गर्व होता है जब एक मैदान मे एक जगह एक स्वर में बोलते हैं जय हिन्द उस वक़्त एहसास होता है हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हम भाई भाई 
और एहसास होता है हम लड़ते नही बस कुछ अराजक तत्व अपने फायदे के लिए हमे  इस्तेमाल करते हैं.


 ज़रा सोचों मित्रों क्या हमे सोचना नही चाहिए की हमे  कुछ राज नेता जातीं धर्म और आरछण की कूटनीति में फँसा कर लड़ाते है और खुद एक छत के नीचे साथ-साथ बैठते है अभी भी वक़्त है

 समझो दोस्तों क्यों की 

मजहब नही सिखाता आपास में बैर करना हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्ता हमारा 

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

इस कविता में एक जोस है एक कशिश है 

अगर मेरे कलम से निकले शब्द पसंद आयें तो ब्लॉग फलो ज़रूर करे आपका मित्र।>>>>>>>> आनू मिश्रा< 

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