मेरे बदलते हिंदुस्तान की एक झलक मुझे गर्व है मैं हिंदुस्तानी हूँ ?
26 republic day |
हम लड़ते है झगड़ा करत है पर हमे गर्व होता है जब एक मैदान मे एक जगह एक स्वर में बोलते हैं जय हिन्द उस वक़्त एहसास होता है हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हम भाई भाई
और एहसास होता है हम लड़ते नही बस कुछ अराजक तत्व अपने फायदे के लिए हमे इस्तेमाल करते हैं.
ज़रा सोचों मित्रों क्या हमे सोचना नही चाहिए की हमे कुछ राज नेता जातीं धर्म और आरछण की कूटनीति में फँसा कर लड़ाते है और खुद एक छत के नीचे साथ-साथ बैठते है अभी भी वक़्त है
समझो दोस्तों क्यों की
मजहब नही सिखाता आपास में बैर करना हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्ता हमारा
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
इस कविता में एक जोस है एक कशिश है
अगर मेरे कलम से निकले शब्द पसंद आयें तो ब्लॉग फलो ज़रूर करे आपका मित्र।>>>>>>>> आनू मिश्रा<
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