भारतीय रेलवे ने इतिहास रच दिया है! गुजरात के दाहोद लोकोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग वर्कशॉप में बना नया 9000 हॉर्सपावर (HP) वाला इंजन न केवल देश के लिए गर्व की बात है, बल्कि अब इसकी मांग विदेशों से भी आने लगी है। यह इंजन इतना शक्तिशाली और तकनीकी रूप से उन्नत है कि इसे भारतीय रेलवे के लॉजिस्टिक्स में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का कारण माना जा रहा है।
आखिर क्या खास है इस इंजन में?
रेल मंत्रालय के सूचना और प्रचार के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार के अनुसार, यह इंजन भारी से भारी माल को तीव्र चढ़ाई पर भी खींच सकता है — 4,500 से 5,000 टन तक! और वो भी बिना किसी अतिरिक्त इंजन के सहारे।
"यह इंजन ‘मेक इन इंडिया’ की ताकत को दर्शाता है और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की दिशा में बड़ा कदम है।" – दिलीप कुमार
इंजन की अनोखी खूबियाँ
विशेषता | विवरण |
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शक्ति | 9000 HP – भारत का सबसे ताकतवर सिंगल इंजन |
वजन उठाने की क्षमता | 5,000 टन तक का माल आसानी से ढो सकता है |
पर्यावरण अनुकूल | हरित ऊर्जा से बनी फैक्ट्री में निर्माण, ऊर्जा पुनर्प्राप्ति ब्रेकिंग सिस्टम |
सुरक्षा प्रणाली | 'कवच' टक्कररोधी तकनीक, कैमरे, AC केबिन, इलेक्ट्रॉनिक लॉक वाले शौचालय |
निर्यात की तैयारी | केन्या, यूएई, बहरीन जैसे देशों से मांग |
कैसे बदलेगा यह इंजन रेलवे का भविष्य?
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अधिक माल, कम समय में पहुंचाया जा सकेगा, जिससे माल भाड़ा कम होगा।
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स्टेशनों पर भीड़ कम होगी और समय की बचत होगी।
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उद्योगों की लॉजिस्टिक लागत घटेगी, जिससे सामान सस्ता होगा।
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पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करेगा क्योंकि यह पारंपरिक इंजनों की तुलना में कम प्रदूषण करता है।
भारत से दुनिया की पटरियों तक
इस इंजन के लिए पहले ही कई देशों ने जानकारी मांगी है। नैरोबी, केन्या, बहरीन और यूएई जैसे देशों ने इसमें रुचि दिखाई है। यह भारत को रेलवे इंजीनियरिंग के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
1200 इंजनों का निर्माण लक्ष्य
फिलहाल 5 इंजन बनाए गए हैं, लेकिन रेलवे का लक्ष्य है कि कुल 1200 अत्याधुनिक मालवाहक इंजन तैयार किए जाएं। यह योजना भारत में रोजगार, तकनीकी कौशल और निर्माण क्षमता को भी बढ़ावा देगी।
दाहोद में बना यह 9000 HP का सुपर इंजन केवल एक इंजन नहीं है, यह भारत की तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और वैश्विक महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। आने वाले समय में जब यह इंजन विदेशी पटरियों पर दौड़ता दिखेगा, तो यह हमारे लिए गर्व की बात होगी।
भारतीय रेलवे की यह उपलब्धि सिर्फ इंजन निर्माण नहीं, बल्कि एक आत्मनिर्भर भारत की ओर तेज़ रफ्तार में दौड़ है।
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