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मंगलवार, जनवरी 17

बेटे की जीत या एक बाप की नाकामी,,,,, .मेरी कलम से

समाजवादी  पार्टी  में चल रही कलह आखिर आज अपनी अंत की ओर  बढ़ती दिखाई दे गई

उत्तर प्रदेश 

बाप बेटे के  बीच सर्वाच्च की महीनो से चल रही जंग का आज चुनाव आयोग ने अंत क्र दिया पर इस जंग ने एक बात तो साबित क्र दिया की राजनीती में कोई किसी का नही होता>

 एक बार फिर इस कुर्सी की लड़ाई ने ये साबीत कर  दिया की  कुर्सी में न कोई बाप न भाई उत्तर प्रदेश की राजीनति भारत की राजीनी में हमेशा एक नई  पहल की है

 वैसे एक सच जरूर सबको सायद  पता चाल ही गई होगी की समाजवादी पार्टी को परिवार वाड़ी पार्टी कहा जय तो कुछ लगत न होगा

  अगर मुलायम और अखिलेश यादव चाहते  तो पार्टी के किसी की पुराने सदस्य को पावर में लेकर लड़ाई सहमति से ख़तम कर सकते थे पर ऐसा नही  किया बात  सिर्फ इतनी है कि वो खुद नही चाहते की समाजवादी पार्टी में कोई दूसरा कदावर नेता खुद को खड़ा कर सके  

अब देखना ये होगा की जिन दबंग माफिया का विरोध अखिलेश विरोध कर रहे थे उन्हें टिकट मिलता हैं या फिर  ये एक मीडिया स्टंट था

 बस  जरा इंतज़ार दूध का दूध और पानी का पानी होने वाला है। ..नजरिया मेरा है पर दोस्तों वोट आपकी और सोच आपकी। .




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