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गुरुवार, जुलाई 20

अगर आप स्मार्टफोन यूजर हैं तो जरुर देख के क्या होते हैं ये टेक टर्म्स

गैजेट की इस दुनिया में आपका भी ज़रूर गैजेट्स के डिफिकल्ट वर्ड (Difficult Words) से सामना होता होगा। कई बार गैजेट्स के बारे में पढ़ते समय हमारे सामने ऐसे शब्द आ जाते हैं, जिनके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं होती। viralindia1 आज आपको बताएगी कुछ जरूरी टेक टर्म्स और उनके मतलब।

1. mAh - किसी डिवाइस की बैटरी के चार्ज पावर को दर्शाता है। आसान शब्दों में एक बैटरी में कितनी इलेक्ट्रिकल चार्ज पावर है, ये mAh से पता चलता है। ये आंकड़ा जितना ज्यादा होगा, उतनी ही डिवाइस को ज्यादा पावर मिलेगी और बैटरी लंबे समय तक काम करेगी।
2. मेगापिक्सल - कैमरा मेगापिक्सल का काम फोटो साइज को बढ़ाना होता है। जितने ज्यादा मेगापिक्सल होंगे, उतना ही बड़ा फोटो साइज होगा। हालांकि, इससे क्वालिटी में ज्यादा अंतर नहीं आता। कई लोगों को लगता है कि ज्यादा मेगापिक्सल होने से फोटो क्वालिटी बेहतर होगी। लेकिन ये सच नहीं है। फोटो क्वालिटी बेहतर कैमरा सेंसर से होती है, जो कलर और फोटो लाइट को संभालता है। वैसे, मेगापिक्सल फोटो क्वालिटी बढ़ाने में मददगार होता है।
3. रेजोल्यूशन - स्क्रीन की डिस्प्ले क्वालिटी (स्क्रीन क्वालिटी) या कैमरा की फोटो क्वालिटी आम तौर पर रेजोल्यूशन पर निर्भर करती है। जितना ज्यादा रेजोल्यूशन होगा, डिस्प्ले क्वालिटी उतनी ही बेहतर होगी।
4. रियर कैमरा - रियर कैमरा मतलब फोन का बैक कैमरा है, जो पोर्ट्रेट या लैंडस्केप में यूजर्स को फोटो खींचने की सुविधा देता है।
5. फ्रंट कैमरा - किसी भी गैजेट में फ्रंट कैमरा यूजर को सेल्फी खींचने और वीडियो कॉलिंग के काम आता है।
6. एंड्रॉइड  - गूगल ने एंड्रॉइड के लेटेस्ट वर्जन एंड्राइड - 7.0 ( Android - 7.0 ) को नया आधिकारिक नाम 'नूगट' रखा है। एंड्रॉइड का लेटेस्ट वर्जन अब तक एंड्रॉइड-एन ( Android-N ) के नाम से जाना जाता था।
पिछले कुछ महीनों से एंड्रॉइड के नए वर्जन एंड्राइड - 7.0 को लेकर एंड्रॉइड यूज़र्स में काफी उत्साह देखने को मिल रहा था, लेकिन इस वर्जन का नाम तब तय नहीं हो पा रहा था। गूगल ने एंड्राइड - 7.0 का आधिकारिक नाम तय करने के लिए अपने एंड्रॉइड यूज़र्स से राय भी माँगी थीं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि एंड्रॉइड - 7.0 का नया नाम लोगों के राय के आधार पर रखा गया है या फिर गूगल ने इसका नाम खुद रखा है।7. एंड्रॉइड मार्शमैलो 6.0 - एंड्रॉइड का ये सबसे लेटेस्ट वर्जन है जिसे इसी साल लॉन्च किया गया है। एंड्रॉइड लॉलीपॉप के मुकाबले इस ऑपरेटिंग सिस्टम में 36 नए फीचर्सजोड़े गए हैं।
8. सीडीएमए (Code Division Multiple Access) टेक्नोलॉजी बेसिक टेक्नोलॉजी है जो US में ज्यादा इस्तेमाल होती है। CDMA अन्य नेटवर्क में कम इंटरफेस करता है और इसमें कई यूजर एक साथ बात कर सकते हैं, जो एक ही फ्रीक्वेंसी को शेयर करते हों। यह अतिरिक्त सिग्नल नॉइस को कम करने के लिए ज्यादा पावर लेता है, जिससे बैटरी लाइफ कम हो जाती है। CDMA हैंडसेट अक्सर एक ही कैरियर के लिए लॉक होता है और यह ट्रांसफर नहीं हो सकता।
9. जीएसएम (Global System for Mobile communication) : यह डिजिटल मोबाइल टेलीफोन सिस्टम है, जो यूरोप और दुनिया के अन्य भागों में इस्तेमाल की जाती है। GSM फोन अनलॉक कर सकते हैं और यह एक कैरियर से दूसरे कैरियर में ट्रांसफर हो सकता है। 2G सेलुलर नेटवर्क कमर्शियली GSM स्टैंडर्ड पर लॉन्च हुआ है और इसकी ट्रांसफर स्पीड अधिकतम 50 kbit/s है।
10. मोबाइल पेमेंट - मोबाइल पेमेंट का सीधा मतलब मोबाइल से पेमेंट करना है। साथ ही, इसके द्वारा पैसा ट्रांसफर भी किया जा सकता है। मोबाइल पेमेंट के चार प्राइमरी मॉडल हैं, जिनमें इसमें SMS (शॉर्ट मैसेज सर्विस), डायरेक्ट मोबाइल बिलिंग, मोबाइल वेब पेमेंट (WAP) और नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) शामिल हैं।
11. बेंचमार्क ऐप - बेंचमार्क ऐप आपके स्मार्टफोन को टेस्ट करती रहती है। ये ऐप बताती है कि आपका फोन कैसा काम कर रहा है। साथ ही, इस ऐप को इस्तेमाल करने वाले सभी स्मार्टफोन्स का डाटा भी ये आपसे शेयर करती है। यानी बेस्ट मोबाइल कौन से हैं और मार्केट में कौन से नए फोन आने वाले हैं।
12. 64 बिट प्रोसेसर - 64 बिट प्रोसेसर का मतलब है कि जो प्रोससेर फोन में इस्तेमाल किया गया है, वो फोन में ज्यादा रैम, ज्यादा मेमोरी और बेहतर कैमरा फीचर्स सपोर्ट कर सकता है। 64 बिट प्रोसेसर के साथ फोन में बेहतर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर फीचर्स दिए जा सकते हैं। इससे बेहतर बैटरी बैकअप भी मिलता है। बता दें कि आईफोन में भी 64 बिट प्रोसेसर मिलता है।
13. LTE - LTE का फुल फॉर्म लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन है। इसे आम भाषा में 4G कहा जाता है। अगर हम कह रहे हैं कि किसी फोन में LTE फीचर है, तो इसका मतलब है कि वह फोन 4G फीचर के साथ आएगा।
14. GPS - GPS सर्विस एक सैटेलाइट बेस्ड सर्विस है जो डिवाइस की लोकेशन, पोजिशन और स्थान विशेष के मौसम की जानकारी आदि देती है। इसे सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। जब कोई मुसीबत में हो तो GPS से उस व्यक्ति की लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।
15. GPRS - मोबाइल नेटवर्क के जरिए डाटा ट्रांसफर की तकनीक को GPRS कहा जाता है। इसे मोबाइल इंटरनेट कहते हैं जो आम सिम के जरिए काम करता है।
16. इन्फ्रारेड पोर्ट - इन्फ्रारेड पोर्ट की मदद से डिवाइस को रिमोट में बदला जा सकता है। इन्फ्रारेड सेंसर ही टीवी, DVD, AC आदि डिवाइसेस के रिमोट में लगे होते हैं। अगर किसी फोन में इन्फ्रारेड फीचर है, तो उसे होम अप्लायंस के रिमोट में बदला जा सकता है। इसके लिए कई ऐप्स गूगल प्ले स्टोर में उपलब्ध हैं।
17. HDMI - डिजिटल ऑडियो और वीडियो ट्रांसफर करने के लिए HDMI पोर्ट और केबल का इस्तेमाल किया जाता है। स्मार्टफोन्स के डाटा केबल में एक साइड USB होता है और दूसरी तरफ HDMI।
18. BSI सेंसर - BSI सेंसर या बैक इल्युमिनेटेड सेंसर एक तरह का डिजिटल इमेज सेंसर है जो फोटो क्वालिटी को बेहतर बनाता है। इस सेंसर के कारण ही खींची जा रही फोटो में बेहतर लाइट आती है और कम लाइट की कंडीशन में भी बेहतर क्वालिटी मिलती है। आसान शब्दों में कहें तो फोटो में कितनी ब्राइटनेस होगी, इसे BSI सेंसर कंट्रोल करता है।
19. कैश मेमोरी - ये डिवाइस मेमोरी में एक ऐसी जगह होती है जहां से हाल ही में एक्सेस किया गया डाटा आसानी से रिट्रीव किया जा सकता है। यूजर्स अपने डिवाइस पर जो भी काम करते हैं उसकी कॉपी कैश मेमोरी में भी सेव रहती है। मेन मेमोरी की जगह कैश मेमोरी से प्रोसेसर डाटा लेता है।
20. हॉटस्पॉट - वाई-फाई हॉटस्पॉट एक ऐसा फीचर होता है जिसके जरिए एक डिवाइस अपने इंटरनेट कनेक्शन को बाकी डिवाइसेस में वाई-फाई सिग्नल की मदद से भेज सकता है। ऐसे में अगर किसी एक डिवाइस में इंटरनेट है तो एक या एक से ज्यादा डिवाइसेस उससे कनेक्ट हो सकेंगे।
21. वूफर - वूफर टर्म लाउडस्पीकर जैसे एक डिवाइस के लिए इस्तेमाल की जाती है जो हाई फ्रीक्वेंसी साउंड को लो फ्रीक्वेंसी में बदल देता है। ये किसी भी बंद जगह पर अच्छी साउंड क्वालिटी देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
22. बास (BASS) - बास एक तरह का म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट होता है जो साउंड क्वालिटी को लो पिच रेंज (लो फ्रीक्वेंसी) देता है।
23. WCDMA - आसान शब्दों में WCDMA मतलब 3G टेक्नोलॉजी। ये कई CDMA (रेडियो चैनल टेक्नोलॉजी जिसकी मदद से फोन कॉल या इंटरनेट एक्सेस की जा सकती है।) को मिलाकर काम करती है। WCDMA डिवाइस और नेटवर्क आम CDMA डिवाइसेस पर काम नहीं करते हैं। इसीलिए 3G सिम और फोन अलग होते हैं।
24. Gyroscope - इसका इस्तेमाल मोबाइल गेम खेलने में किया जाता है। जब हम रेसिंग वाला गेम खेलते हैं और कार को दाएं या बाएं मोड़ने के लिए मोबाइल फोन को भी दाएं या बाएं घुमाते हैं तब यह इसी सेंसर की वजह से होता है।
25. Pixel Density - इसे pixels per inch (ppi) के रूप में मापा जाता है। जिस मोबाइल का ppi सबसे ज्यादा होता है वह मोबाइल उतना ही अच्छा होता है। स्क्रीन के डिस्प्ले के एक इंच की दूरी में जितने अधिक पिक्सल होंगे आपके डिवाइस का स्क्रीन डिस्प्ले उतना ही अच्छा होगा। iPhone-6 की स्क्रीन साइज़ 4.7 इंच है, रेजोल्यूशन 750 x 1334 है और ppi 326 है।
26. Accelerometer - मोबाइल की स्क्रीन को पोर्टेट या लैंडस्कैप में करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मोबाइल को हम जिस भी दिशा में घुमाते हैं, ठीक उसी दिशा में मोबाइल की स्क्रीन भी घुम जाती है। मोबाइल में 'Auto rotate' सेटिंग इसी पर काम करती है। इसका इस्तेमाल इमेज-रोटेशन में भी किया जाता है।
27. Proximity Sensor - कई बार होता है कि हम फोन को कान पर लगाकर किसी से बात कर रहे होते हैं और तभी हमारा कान मोबाइल के टचस्क्रीन को छू लेता है और इस वजह से फोन कट जाता है या फिर कोई ऐप चालू हो जाता है। कॉल के दौरान ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए Proximity Sensor का उपयोग किया जाता है। Proximity Sensor आपके फोन और उसके सामने की वस्तु के बीच की दूरी की पहचान कर अलर्ट भेजता है।
28. Light ambient sensor - इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन की ब्राइटनेस को सेट करने में किया जाता है। जब हम किसी डिवाइस में ब्राइटनेस सेटिंग को 'ऑटो' मोड में सेट करते हैं तब वह डिवाइस हमारे आस-पास मौजूद लाइट के हिसाब से मोबाइल स्क्रीन की ब्राइटनेस को सेट करता है ताकि मोबाइल स्क्रीन पर देखने में आंखों को कोई परेशानी ना हो।
29. USB Type-C - ये पोर्ट्स पुराने पोर्ट्स की तरह नहीं होते हैं। इसकी मदद से सभी केबल एक ही पोर्ट में कनेक्ट किए जा सकते हैं। इसके लिए अलग-अलग पोर्ट्स किसी डिवाइस में देने की जरूरत नहीं होगी। इसका मतलब चाहे की बोर्ड की पिन लगानी हो या माउस या फिर चार्जर अटैच करना हो, सब एक ही पोर्ट से हो जाएगा। इसके अलावा, इस पोर्ट में चाहे केबल उलटा लगाया जाए या सीधा केबल लग जाएगा।
30. 4K - 4K डिस्प्ले क्वालिटी का मतलब है HD से 8 गुना बेहतर डिस्प्ले क्वालिटी वाला डिवाइस। 4K उस डिस्प्ले रेजोल्यूशन को कहा जाता है जिसमें 4000 पिक्सल होते हैं। इसे आम तौर पर अल्ट्रा हाई डेफिनेशन टेलीविजन भी कहा जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो ये अभी कमर्शियल टीवी में सबसे बेस्ट क्वालिटी है।
31. USB Type-C - USB Type-C पोर्ट्स पुराने पोर्ट्स की तरह नहीं होते हैं। इसकी मदद से सभी केबल एक ही पोर्ट में कनेक्ट किए जा सकते हैं। इसके लिए अलग-अलग पोर्ट्स किसी डिवाइस में देने की जरूरत नहीं होगी। इसका मतलब चाहे की बोर्ड की पिन लगानी हो या माउस या फिर चार्जर अटैच करना हो, सब एक ही पोर्ट से हो जाएगा। इसके अलावा, इस पोर्ट में चाहे केबल उलटा लगाया जाए या सीधा कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पोर्ट एक ही तरह से काम करेगा।
32. OLED - बाजार में एलईडी टीवी के साथ अब ओएलईडी टीवी भी मिलने लगे हैं। ओएलईडी यानी ऑर्गनिक लाइट एमिटिंग डायोड भी एलईडी आधारित तकनीक है और इसे टीवी से लेकर स्मार्टफोन्स तक में इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां एलईडी टीवी एलसीडी टीवी का ही प्रकार हैं और इनमें एलईडी की मदद से स्क्रीन पर एलसीडी के पिक्सल को रोशन किया जाता है। वहीं ओएलईडी स्क्रीन में खुद एलईडी ही पिक्सल का काम करती हैं और 6 लेयर्स मिलकर तस्वीरें स्क्रीन पर लाती हैं। इसलिए ओएलईडी टीवी पर तस्वीर ज्यादा स्पष्ट दिखती है और किसी भी एंगल से देखने पर एक सा दिखाई देता है। साथ ही ओएलईडी स्क्रीन वाले गैजेट्स काफी पतले और हल्के होते हैं। फिलहाल ओएलईडी तकनीक महंगी है इसलिए इसके टीवी की कीमत काफी ज्यादा है।
33. Encryption - आपके स्मार्टफोन की सेटिंग्स में ‘Encrypt your data' या एनक्रिप्शन से जुड़े अन्य विकल्प उपलब्ध होते हैं। कम्प्यूटर में भी इस तरह की सुविधा होती है। एनक्रिप्शन या अपने डाटा को ‘एनक्रिप्टेड’ फॉर्म में बदलना। यह एक ऐसा तरीका होता है, जिसमें आप से जुड़ी संवेदशनशील या निजी जानकारियों की फाइल्स को सिस्टम ऐसी फाइल्स में बदल देता है और पासवर्ड, प्राइवेट की या अन्य तरीकों से सुरक्षित कर देता है। इसके बाद आपके अलावा अगर कोई इन फाइल्स को देखने की कोशिश करता है, तो उसे अजीब आकृतियां और उल्टे-सीधे शब्द नजर आते हैं। इसके बाद फाइल को पासवर्ड के जरिए डिक्रिप्ट करके ही देखा जा सकता है। यह अपनी निजी या संवेदनशील फाइल्स को और भी ज्यादा सुरक्षित बनाने का कारगर तरीका होता है। इससे फाइल सिस्टम (मोबाइल या कम्प्यूटर) की सुरक्षा प्रणाली पर निर्भर नहीं रहती।
कैसे चुनें रेजोल्यूशन:-अगर आप कोई लो बजट स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं, तो उसमें भी कई तरह की स्क्रीन क्वालिटी मिल सकती है। लो बजट मार्केट में 720*1280 पिक्सल (HD) के रेजोल्यूशन वाले स्मार्टफोन्स उपलब्ध हैं। इससे कम HVGA (480x320), VGA (640x480), FWVGA (854x480), qHD (960x540 पिक्सल) जैसे रेजोल्यूशन वाले फोन भी मार्केट में लोकप्रिय हैं, लेकिन ये डिस्प्ले क्वालिटी के मामले में कमजोर होते हैं। अगर आपका बजट ज्यादा है तो फुल एचडी (1920*1080 पिक्सल का रेजोल्यूशन) वाले फोन लें। फुल एचडी फोन मिड रेंज में खरीदे जा सकते हैं और ये बड़ी स्क्रीन में भी बेहतर क्वालिटी गेमिंग या वीडियो देखने के लिए अच्छे होते हैं।

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