Pages

बुधवार, मई 17

अगर हर सरकारी नौकरी में आरक्षण वाले आगे आते है तो बार्डर में क्यों नही ?

आरक्षण केवल समाज में दबे हुए जाती को मिलता था परन्तु देश के राजनीतिकरण ने सिर्फ वोट की खातिर समाज में आरक्षण नमक जहर को घोल दिया है 
आरक्षण
२३० पर फेल और १९५ पास ---इसी व्यवस्था के सिकार हुए अंकित  श्रीवास्तव  सिविल सर्विस २०१५ में २३०.३९ नंबर मिले जबकि इस बार की टोपर टीना दाबी १९५.३९ नंबर मिले आरक्षण के पंख लगाये टीना  टोपर बन गयी और और एक सवेर्न जाती का गरीब छात्र  पीछे रह गया 
                                               
भिखारी
अगर समाज में सिर्फ जाती के नाम से आरक्षण  मिलता है तो सीमा पर लड़ रहे उन सिपाहियों में ये नियम क्यों नही लागू होता की ठाकूर पंडित वैश्य जब भी कोई युद्ध हो तो सिर्फ पहले वो ही जाये जिन्हें आरक्षण प्राप्त है जैसा की अन्य नौकरियों में होता है अगर डॉक्टर मास्टर बनने में सिर्फ आरक्षण वालो को आगे किया जाता है तो युद्ध में क्यों नही 

                                                               
 
आरक्षण की आग 
आरक्षण सिर्फ देश की बर्बादी और मौत का जिम्मेदार है  क्या हर सामान्य जाती वाले के पास रहिसियत है क्या पिछड़ी जाती अमीर नहीं है आज आरक्षण के बल पैर आरक्षित परिवार वालो में एक ही परिवार के 5,5 लोग नौकरी का लाभ उठा रहे है और सवेर्ण बेचारा भूखो मर रहा है 
                            इस गंदे आरक्षित समाज में आर्थिक स्थिति को न देखकर सिर्फ जाती के नाम पर आरक्षण देने में सरकार को वोट मिलती है तो अब गोलिया भी मिलने लगी है जिसका  सबूत गुर्जरों ने दिया है 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें